लिंग (Gender)

लिंग(Gender)

लिंग का शाब्दिक अर्थ है-चिन्ह। शब्द के जिस रूप से उसके स्त्रीजाति या पुरूषजाति के होने का बोध हो उसे लिंग कहते हैं।

हिन्दी में दो लिंग हैं:- पुल्लिंग, स्त्रीलिंग

हिन्दी में लिंग निर्धारण 3 आधारों पर होता है- 1. रूप के आधार पर, 2. प्रयोग के आधार पर, 3. अर्थ के आधार पर

 

1. रूप के आधार परः– रूप के आधार पर लिंग निर्णय का तात्पर्य है- शब्द की व्याकरणिक बनावट-

पुल्लिंग शब्द:-

  1. अकारान्त शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं जैसे:- शेर, घोड़ा, सूर्य, राम
  2. भाववाचक संज्ञाए जिनके अंत में त्व, व , य हो वे पुल्लिंग होती हैं जैसे- पुरूषत्व, पड़ाव, शौर्य
  3. जिनके अंत में पा, पन, आव, आवा, खाना जुडे हों वे भी पुल्लिंग होते हैं जैसे:- पहनावा, मोटापा, गंजापन

स्त्रीलिंग शब्द:-

  1. आकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं जैसे- लता, रमा
  2. इकारान्त शब्द स्त्रीलिंग होते हैं जैसे- रीति, हानि
  3. आई, इया, आवट, आहट, वा प्रत्यय वाले शब्द भी स्त्रीलिंग होते हैं जैसे:- सुन्दरता, घबराहट, सजावट, पढ़ाई

 

2. प्रयोग के आधार पर:- इसके लिंग निर्णय के लिए संज्ञा शब्दों के साथ प्रयोग में लाए विशेषण, कारक, चिन्ह एवं क्रिया को आधार बनाया जा सकता है जैसे:-

1. राम ने रोटी खाई। (रोटी स्त्रीलिंग, क्रिया स्त्रीलिंग)

2. राम ने आम खाया। (आम पुल्लिंग, क्रिया पुल्लिंग)

 

3. अर्थ के आधार पर:- कुछ शब्छ अर्थ की दृष्टि से समान होते हुए भी लिंग की दृष्टि से भिन्न हैं।

जैसे:- आप विद्वान लेखिका हैं। (अशुद्ध)

आप विदुषी लेखिका हैं। (शुद्ध)

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