अव्यय(Indeclinable)
परिभाषा:- ऐसे शब्द जिनमें लिंग, वचन, पुरूष, कारक आदि के कारण कोई विकार नहीं आता, अव्यय कहलाते हैं। अव्यय के चार भेद हैं:- 1. क्रिया विशेषण, 2. सम्बन्धबोधक, 3. समुच्चय बोधक, 4. विस्मयादि बोधक
1. क्रियाविशेषण:- जो शब्द क्रिया की विशेषता बताते हैं उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं। इसके चार भेद हैं- कालवाचक, स्थानवाचक, परिमाणवाचक, रीतिवाचक।
कालवाचक:-
- आज वर्षा होगी।
 - वह दिनभर पढ़ता रहता है।
 - मीना हर बार जीत जाती है।
 
स्थानवाचक:-
- बाहर खेलो।
 - दाईं ओर मुड़ो।
 - यहाँ आओ।
 - उधर जाओ।
 
परिमाणवाचक:-
- गीता कम बोलती है।
 - आज काफी ठंड है।
 - थोड़ा बहुत पढ़ना सीखो।
 
रीतिवाचक:-
- बच्चे झूठ नहीं बोलते।
 - ज़ोर-ज़ोर से हँसो।
 
2. सम्बन्ध बोधक:- जो अव्यय किसी संज्ञा के बाद आकर उस संज्ञा का संबंध वाक्यों के दूसरे शब्दों से दिखाते हैं, उन्हें संबंध बोधक कहते हैं। अर्थ के आधार पर सम्बन्धबोधक अव्यय के 14 प्रकार हैं:-
- स्थानवाचक- आगे, पीछे, समीप, सामने
 - दिशावाचक- ओर, तरफ, आसपास
 - कालवाचक- अब, तक, पहले, बाद में
 - साधनवाचक- द्वारा, माध्यम
 - उद्देश्यवाचक- लिए, हेतु
 - व्यतिरेकवाचक- अलावा, बिना, अतिरिक्त
 - विनिमयवाचक- बदले, जगह पर
 - सादृशवाचक- समान, योग्य, बराबर
 - विरोधवाचक- विपरीत, विरुद्ध
 - साहचर्यवाचक- साथ, संग, सहित
 - विषयवाचक- संबंध, भरोसे
 - संग्रहवाचक- लगभग, मात्र, तक
 - तुलनावाचक- अपेक्षा, समान
 - कारणवाचक- कारण, परेशानी से
 
3. समुच्चयबोधक:- दो वाक्यों को परस्पर जोड़ने वाले शब्द समुच्चयबोधक अव्यय कहे जाते हैं। यह दो प्रकार के हैं- समानाधिकरण, व्यधिकरण
- समानाधिकरण के चार उपभेद हैं:-
 
- संयोजक-और, व, एवं, तथा
 - विभाजक– या, वा, अथवा, नहीं तो
 - विरोधदर्शक-पर, परन्तु, लेकिन, किन्तु
 - परिणामदर्शक– इसलिए, अतः, अतएव
 
- व्याधिकरण के चार उपभेद हैं:-
 
- कारणवाचक– क्योंकि, जोकि, इसलिए कि
 - उद्देश्यवाचक– कि, जो, ताकि
 - संकेतवाचक– जो…… तो, यदि……तो
 - स्वरूपवाचक– कि, जो, अर्थात्, यानी
 
4. विस्मयादिबोधक:- जिन अव्ययों से हर्ष, शोक, घृणा आदि भाव व्यंजित होते हैं तथा जिनका संबंध वाक्य के किसी पद से नहीं होता, उन्हें विस्मयादिबोधक अव्यय कहते हैं, जैसे:-
- अरे! यह क्या हुआ?
 - छिः!
 - अरे!
 - हाय!
 - वाह!