कारक (Case)

कारक(Case)

वाक्य में प्रयुक्त संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का क्रिया के साथ जो संबंध होता है उसे कारक कहते हैं।

कारक के आठ भेद हैं:-

कारक  कारक चिन्ह्
कत्र्ता ने,
कर्म को,
करण से, के द्वारा
सम्प्रदान को, के लिए, ए, एँ
अपादान से
संबंध का, के, की, रा, रे, री
अधिकरण में, पर
सम्बोधन ऐ! , हें! , अरे! , ओ!

 

1. कत्र्ता:- क्रिया को संपन्न करने वाला

  • राम ने पत्र लिखा।
  • बकरी भेड़िए को टक्कर मारती है।

इस वाक्य में ‘टक्कर मारने की क्रिया बकरी के साथ है अतः बकरी कत्र्ता कारक है। (ने) कत्र्ता कारक का परसर्ग चिन्ह है।

हिन्दी में कत्र्ता कारक का प्रयोग (ने) परसर्ग के साथ भी होता है तथा इसके बिना भी जैसे:- बकरी भेड़िए को टक्कर मारती है इस वाक्य में ‘ने का प्रयोग नहीं हुआ। कभी-कभी ‘को, ‘से, ‘के द्वारा परसर्गों का प्रयोग भी कत्र्ता के साथ किया जाता है।

 

2. कर्म कारक:- कत्र्ता के द्वारा किया गया काम कर्म कहलाता है। क्रिया के पहले किसको लगाए- उत्तर (कर्म)

  • माता पुत्र को पढ़ाती है।
  • राम ने रावण को मारा।

 

3. करण कारक:- क्रिया के करने के साधन को करण कारक कहते हैं, अर्थात् कत्र्ता जिसकी सहायता से काम करता है उस संज्ञा में करण कारक होता है।

  • अंशु पेन से लिखता है।
  • माँ चाकू से सब्जियाँ काटती है।

इसमें सब्जी काटने का साधन चाकू और लिखने का साधन पेन है अतः ये करण कारक हैं।

 

4. संप्रदान कारक:- जब किसी को कुछ प्रदान किया जाए या किसी के लिए काम करें उसे संप्रदान कारक कहते हैं।

  • बच्चों को किताबें दो।
  • पिताजी मेरे लिए घड़ी लाए।

इनमें ‘बच्चों कोतथा ‘मेरे लिएसंम्प्रदान कारक है। ‘के लिएतथा ‘को’ संप्रदान कारक के परसर्ग चिन्ह हैं। क्रिया के साथ ‘किसके लिए’ लगाकर प्रश्न करने से जो संज्ञा या सर्वनाम शब्द उत्तर में आते हैं उनको संप्रदान कारक कहते हैं।

 

5. अपादान कारक:- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से अलग होने का भाव प्रकट हो उसे अपादान कारक कहते हैं।

  • बच्चा छत से गिर गया।
  • वह घर से आया है।
  • गंगा हिमालय से निकलती है।

तुलना, अलग-होना, निकलना, पढ़ना/सीखना, दूरी, डरना आदि भाव भी अपादान के उदाहरण हैं।

 

6. संबंध कारक:- किसी व्यक्ति या पदार्थ का आपस में संबंध बताने वाला रूप संबंध कारक कहलाता है। का, के, की, रा, रे, री, ना, ने, नी

  • दिल्ली से शीला का पत्र आया है।
  • तुम्हारा भाई कब आएगा?
  • यह आपकी गाड़ी है।

 

7. अधिकरण कारक:- संज्ञा या सर्वनाम के जिस रूप से किसी घटना के घटित होने के आधार का पता चले, उसे अधिकरण कारक कहते हैं।

  • बन्दर डाल पर बैठे हैं।
  • आयशा कमरे में पढ़ रही है।
  • हम पर भगवान की कृपा है।

समयवाचक क्रियाविशेषण के साथ अधिकरण कारक ‘में, ‘को परसर्ग का प्रयोग होता है, जैसे वह शाम को आएगा, वह रात को घर जाएगा।

 

8. संबोधन कारक:- जिस शब्द से किसी को बुलाने, पुकारने या सावधान करने का बोध होता है, उसे संबोधन कारक कहते हैं।

  • अरे भाई! कहाँ जा रहे हो?
  • हे भगवान! हमें माफ करना।
  • अरे मित्र! इतने दिन कहाँ थे?
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